Monday, June 1, 2009

आतंकवाद

कंधार विमान अपहरण ,
संसद पर हमला ,
जयपुर -दिल्ली के
सार्वजनिक स्थलों पर ,
एक के बाद एक होते धमाके !
सिलसिलेवार बम विस्फोट !
देश की वित्त नगरी मुंबई पर
बहुत बडा आतंकी हमला !
यह भारत जैसे महान देश की
बिडम्बना ही तो है की वह
मुट्ठी भर आतंकवादिओं का
मुकाबला नही क र सकता !
वाह्य शक्तियाँ
भारत की अखंडता ,
एकता को भंग करना चाहती हैं !
हमारी सुरक्षा एजेंसियां नकारा हो गयी हैं !
स्वार्थी राज नेता ही
आतंकियों को मौका दे रहे हैं !
भ्र्सत्ताचार उपर से नीचे तक पसरा है !
पैसे के दम पर सब कुछ सम्भव है !
पैसा देकर
पहचान पत्र मिल जाते हैं ,
वोटर लिस्ट में नाम चढ़ जाते हैं,
मकान किराए पर मिल जाते हैं ,
पैसा देकर, दोस्त मिल जाते हैं !
सीमाओं पर सघन पहरेदारी है।
पैसा देकर आतंकी सीमा पार क र जाते हैं !
भारी रिस्वतें देकर
हथियार उधर से इधर पहुंच जाते हैं !
करांची से चला जहाज बिना अनुमति के
भारतीय सीमा में घुस आता है।
इतनी बडी घटना , पलक झपकते ही तो
घटी नही होगी !
तय्यरियाँ पहले से चल रही होंगी!
भारी मात्रा में लेनदेन हुआ होगा !
किसी पर कोई शक हुआ भी होगा,
किसी बडे सलूक वाले राज नेता को
खरीदकर ,
शिफारिश लगवा दी गई होगी ,
केस रफादफा हो गया होगा !

आतंकी विस्फोटो के बाद
घटनास्थल की जांच ,
बडी तीव्रता से होती है !
लगने लगता है की केस अब सुलझा !
असलियत सब जानते हैं ,
जांच समितियां बिठाई जाती हैं,
समय व्यतीत किया जाता है।
कोई आतंकी ज़िंदा पकड़ भी लिया जाता है ,
राजनेताओं के सलूक ढूंढें जाते हैं !
भारी रिश्वते पहुंचाई जाती हैं,
आतंकी को फांसी नहीं होती !

आतंकवाद के खात्मे को लेकर
राजनेता बिल्कुल गंभीर नहीं हैं ।
राष्ट्र क्र प्रति उनकी सोच कुंठित हो गई है ,
राष्ट्रीय भावनाएं मर चुकी हैं ।
नेता कहते हैं -
आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता ।
सच यह है की
नेताओं का ही कोई मजहब नहीं होता ।
भ्रस्ताचार ,कुर्सी ,वोट उनका उद्येश्य है।
देश जितनी कठनाइयों का सामना कर रहा है ,
सभी के लिए ,राजनेता जिम्मेदार हैं ।
पहले अंग्रेजों का अत्याचार था ,
अब इन सफेदपोश नेताओं का अत्याचार है।
केवल शासक बदले हैं,
व्यवस्था तो बद से भी बदतर है ।
यह सच है की भ्रस्ताचार पर सख्ती से अंकुश लगने पर ही
आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है ।
नहीं तो भ्रस्ताचार का दंश झेलती जनता
आतंकवाद के खौफ तले ही
जीती रहेगी -मरती रहेगी ।
आज जनता एवं शहीदों की लाशों पर
राजनीती करनेवाले नेताओं की
आख़िर जरुरत ही क्या है ?
उन्हें तो मरीन ड्राइव पर लैंप पोस्ट पर
लटका देना चाहिए
और दुनिया को यह बता देना चाहिए की
भारत में अब आतंकवाद पनप नहीं सकता ,
आतंकवाद भारत की और कभी मुंह उठा नही सकता ।
यह काम जनता को ही अंजाम देना होगा,
तब ही तो ,
अपने प्यारे वतन को आज़ाद हवा में साँस लेने के
ख्वाब देखने वाले नौजवानों का हँसते हँसते ,
फांसी का फंदा पहन ,शहीद हो जाने वाले
शहीदों के प्रति हमारी
सच्ची श्रधान्जली होगी ।

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