Saturday, February 6, 2010

दुनिया में कौन सदा किसका हुआ करता है

आदमी तो बस मतलब का हुआ करता है।

बेसुध हुआ भटका करे इंसान कहीं भी

पता उसके पास सदा घर का हुआ करता है।

गुजरनेवाला था एक हादसा हादसा जो मुझ पे

करम वह किसी और का हुआ करता करता है।

हम उठा लेते हैं पढ़ लेते हैं तेरे ख़त को

हिस्सा वह अब किताब का हुआ करता है ।

लड़ते रहे ताउम्र हम जिसके लिए

वह ख्वाब तो सच किसी और का हुआ करता है।

घड़ी दो घड़ी का ही मेला है जिंदगी बस

लम्बा परचा तो हिसाब का हुआ करता है।

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