Tuesday, May 11, 2010

अपना नसीब

न हुआ कभी न हुआ नसीब ,अपना नसीब
सुधरा न कभी बिगड़ा ही रहा अपना नसीब।
बुरा तो था पर इतना भी तो बुरा नहीं था
कि अपने को ही बुरा लगने लगा अपना नसीब।
सितारों ने चाहा था मुझे हर गम से बचाना
किसी भी कीमत पर न बदला अपना नसीब।
हाथ उठाकर माँगी थी आँखों ही आँखों में
दुआओं से भी नहीं बदला अपना नसीब।
लम्बे समय से साथ रह रहा था अपने
सदा बेगाना बन कर रहा अपना नसीब।
चैन मिला था किसी के शाने पे रख के सीर
तब भी सिसकता रहा अपना नसीब।.
दिल करता है तराश दूं छेनी हथोड़े से
लगता है फिर भी न बदलेगा अपना नसीब।

1 comment:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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