Monday, May 24, 2010

आँखों को बेनकाब कर देगा

आँखों को बेनकाब कर देगा
वो मिलेगा तो बेख्वाब कर देगा।
संदल से महकते जिस्म को मेरे
अपनी खुशबू से गुलाब कर देगा।
इस क़दर चूमेगा हंसके पेशानी
अपनी छुहन से सैलाब कर देगा।
उसका रुका रुका सा लहजा
नर्म हवाओं को बेताब कर देगा।
बैचेनी का आलम होगा इतना
तमाम उम्र का हिसाब कर देगा।
पिघल कर पत्थर मोम हो जायेगा
वो इतना लाजवाब कर देगा।
रिफाक्ते-शब् में प्यासा चकोर
मुझे पिघलता महताब कर देगा।

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