Tuesday, May 25, 2010

आईने काले पड़ गए

दीवारें कल ही पुती थी आज जाले लग गए
धूप दिन भर खूब खिली थी रात पाले पड़ गए।
फैसले मत बदलना डरकर किसी के कहने से
जो चीखे बहुत थे सबके होठों पे ताले पड़ गए।
कुछ पल के लिये ठहरकर दिल को कहीं उंडेल दे
तडपेगा जब लगेगा तन्हाइयों के छाले पड़ गए।
जरा सी हिम्मत दिखाकर तूने कर ली जो गुजर
कोई न जानेगा तुझे रोटियों के लाले पड़ गए।
अपने चेहरे पर लगी स्याही को तो पोंछ ले
उजाला न हुआ तो लगेगा आईने काले पड़ गए।

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