Saturday, May 29, 2010

यकीन रख

कभी न कभी अँधेरा छंटेगा यकीन रख
निगाहों में सबेरा बसेगा यकीन रख ।
माना आग ने तेरा पोर पोर जला दिया
चिनार का मौसम भी आएगा यकीन रख ।
यह कैसा न्याय है हर बात झूठी हो गयी
जल्द ही खुलासा हो जायेगा यकीन रख ।
बहलाने वाले ने खूबसूरती से बहला दिया
हर मुद्दा फिर से उछलेगा यकीन रख ।
उठा के अपने हाथ कुछ मांग तो ले उससे
बिगड़ा मुकद्दर जरूर सम्भलेगा यकीन रख ।

1 comment:

  1. उम्मीद पर दुनियां कायम है...व्यवस्था मे बदलाव का यकीन दिलाती..सुन्दर , सशक्त व सार्थक रचना।

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