Friday, June 25, 2010

पूछती है

खिजां से बहार का पता पूछती है
सन्नाटों से हंगामें का पता पूछती है।
अक्ल की नादानी का ज़िक्र क्या करें
एक सूफी से मैखाने का पता पूछती है
चेहरा खिलखिलाया रहता था जो
हंसी उस चेहरे का पता पूछती है ।
सिर झुकाने से कृष्ण नहीं मिलता
राधा उसके रहने का पता पूछती है।
फूल एक रक्खा था किताब में हमने
मोहब्बत पन्ने का पता पूछती है।
श्रृंगार का सामान हाथ में लिए
खूबसूरती आईने का पता पूछती है।
जो इश्क में दुनिया भुलाए बैठे हैं
चिट्ठी घर का उनके पता पूछती है।
जिनकी दहलीज से सूरज उगता है
तकदीर उनसे जगने का पता पूछती है।

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