Monday, June 21, 2010

आज की रात बहुत भारी है

आज की रात बहुत भारी है
किसी के जाने की तय्यारी है।
गम में डूबा है हर कोई
दिल सबका बहुत भारी है।
है इलाज़ नहीं इसका अब
इसको कैसी बीमारी है ।
बेबस बना है हर कोई
छाई कैसी लाचारी है ।
कष्ट है बहुत इसको
हुआ दम निकलना भारी है।
खुदा निजात देदे इसे
अब बनी सांस लाचारी है।
हे रब तेरी माया यह
बिलकुल अजब न्यारी है।
बनी सांस लाचारी है ।

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