Saturday, June 12, 2010

कौन आसमान छुआ करता है

जमीन से उठकर कौन आसमान छुआ करता है
वक़्त हर वक़्त कहाँ मेहरबान हुआ करता है ।
किसी की आँख से पोंछ देता है जो आंसू
आदमी उसके लिए भगवान हुआ करता है ।
हो सके तो खुद की जेब पर भरोसा रखना
दूसरों का रहमोकरम अहसान हुआ करता है
जो अपने क़द से भी लम्बा होता चला गया
किसी के गले लगने से परेशान हुआ करता है।

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