Tuesday, November 23, 2010

मेरे हुनर ने मुझे नई पहचान दी है

मेरे हुनर ने मुझे नई पहचान दी है
नई आन नई बान नई शान दी है।
फना हो जाता मैं तो कभी का ही
दुश्मनों ने मेरे लिए जान दी है।
बताया मुझे हवाओं ने जब चली
अपनों ने सर टकराने को चट्टान दी है।
हम तो निकले थे मौत को खोजते
होसलों ने मौत को थकान दी है।
काबू खो बैठा था मैं खुद पर से ही
नर्म लम्स ने मुझे मुस्कान दी है।
वरक वरक फसाना बिखर गया था
मैंने जज्बातों को नई उफान दी है।

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