Friday, April 22, 2011

वक़्त बेवक्त आंसू मत बहाया कर
खुद को कभी इतना मत सताया कर।
खज़ाना आंसुओं का अनमोल है बड़ा
पलकों का नमक अपनी मत जाया कर।
जिंदगी की चादर में तो सबकी छेद है
खुद को दिवालिया तू मत बताया कर।
जमाने का काम तो बस हवा देना है
अपने जख्म किसी को मत दिखाया कर।
आरज़ू सब पूरी नहीं होती किसी की
हर वक़्त रंगीन सपने मत सजाया कर।
कोई न जान पायेगा दिल की लगी तेरी
सब के सामने तू बस मुस्कराया कर।

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