Saturday, October 1, 2011

कुदरत का कमाल था कोई
या हुस्न बेमिसाल था कोई।
देखकर के निगाहें हैरान थी
हर दिल में सवाल था कोई।
उसकी उम्दा कारीगरी पर
शिद्दत से निहाल था कोई।
जो देखनहीं सका वो मंज़र
उस दिल में मलाल था कोई।

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