Friday, May 11, 2012

खुद की तलाश में हूँ,राहगीर नहीं हूँ
अल्लाह का करम है,शमशीर नहीं हूँ।
इक नई सुबह का आगाज़ तो हूँ मैं
अँधेरी रात का मगर मैं तीर नहीं हूँ।
दिल ने ठानी है चुप रहने की वह तो
खामोश हूँ ,दिल का फ़कीर नहीं हूँ।
बेवज़ह उदासी जो दिल को दिला दे
मैं इतनी भी बुरी तस्वीर नहीं हूँ।
मिलना,बिछुड़ना और फिर तडफ़ना
बेचैन हूँ,गम की कोई तश्हीर नहीं हूँ।
बात कही है तो निभाऊंगा भी ज़रूर
कमी में हूँ मगर मैं तस्खीर नहीं हूँ।

तश्हीर-विज्ञापन तस्खीर-हारा हुआ




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