Tuesday, June 26, 2012

अपनी तस्वीर ,ख़ुद ही बनाना सीखो
ख़ुद की पीठ, ख़ुद थपथपाना सीखो।
दुनिया को बिल्कुल फ़ुरसत नहीं है
अपने जश्न ,ख़ुद ही मनाना सीखो।
मुश्किलें तो हर क़दम पर ही आएँगी
बस हौसलों को बुलंद बनाना सीखो।
गिर गये तो मज़ाक बनाएगी बहुत
दुनिया को क़दमों पर झुकाना सीखो।
कामयाबी का अपनी परचम लहराके
खुशबुओं को अपनी ही, उड़ाना सीखो।





1 comment:

  1. लोग सीख चुके हैं.. चरों और आजकल सब अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहे हैं...

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