Saturday, September 22, 2012

 
हज़ार बहानो से बेरुख़ी अच्छी -
हज़ार कोशिशों से बेबसी अच्छी !
आबरू पर आंच आने लगे तो -
हज़ार जवाबों से खामुशी अच्छी !
रौशनी ग़र आँख में चुभने लगे -
उजालों से फिर तीरगी अच्छी !
ताजमहल देख कर गुमां होता है -
है प्यार की मिसाल कितनी अच्छी !
क्या जज्बा था मुहब्बत का शाज़हाँ में
या मजदूर की थी कारीगरी अच्छी !
हम कायल हैं आपकी सादगी के
हमे लगती है मुखलिसी अच्छी !

मुखलिसी-- निस्वार्थता

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