Monday, December 17, 2012

बिन माँ के बच्चे का दर्द ------

दिल में बहुत वीराना है
उलझन है ,सन्नाटा है !
मुसीबतें मेरा मुक़द्दर है
न बदला मेरा फ़साना है !
हर वक्त मुद्दा मै ही बना
मुश्किलों ने मुझे तलाशा है !
चुन चुन के दर्द मिले मुझे
जैसे दर्द ही मेरा ठिकाना है !
मर्ज़ की मेरे दवा न मिली
मेरा दर्द दुनिया से निराला है !
सुबह से घर में शोर मचा था
शाम को दावत में जाना है !
चलते हुए कह गये मुझ से
मुझे अपना खाना बनाना है !
तन्हा बैठ कर, रो रो कर
मैंने खाया एक निवाला है !
काश ! मेरा भी कोई होता
दर्द दिल में बेतहाशा है !
मेरे आंसू ही मेरा ज़ेवर है
नश्तरों ने इन्हें तराशा है !
पैदायशी पर भी सवाल उठे
माँ तुझ को यह बतलाना है !
सदियों ज़लालत सही मैंने
ज़िल्लतों ने मुझे नवाज़ा है !
ख़ुदकुशी भी मै कर न सका
दिल सोचता तो रोज़ाना है !
तू मुझे छोड़ के चली गई माँ
बस इतना मेरा अफ़साना है 1

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