Saturday, December 8, 2012

उससे निगाह मिला सके, किसमे ताब थी
उसकी आँखों में चमक ही लाज़वाब थी !

उसकी महक ने ही रौंद दिया ज़िस्म को
पता नहीं कैसी वह जादुई शराब थी !

सुलगती थी रूह और तपता था बदन
वह तो मगर कोई ख्यालो ख़ाब थी !

जी पढने का करे तो देखते  रह जाएं
वह तस्वीरों की ऐसी ही क़िताब थी !

फ़रिश्ते भी उसे देख कर के हैरान थे
वह महताब थी कि वह आफ़ताब थी !

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