Saturday, February 16, 2013

शहर में वसंत
--------------------------
गाँव पीछे छुट गया ,कहाँ गया वसंत
शहर में नहीं खिलता ,कहाँ गया वसंत !
सरसों के फूल सजे हैं सब्जी के ठेले पर
वो खेत में बिखरा हुआ कहाँ गया वसंत।
फूलों पर मदमाते हुए भवरों का गुंजन
वो कोयलों का कूकना ,कहाँ गया वसंत !
मांझे से कटी हुई चीसती वो अंगुलियाँ
वो पतंगों का उड़ना ,कहाँ गया वसंत !
वेलेंटाइन डे की धूम तो है गली गली
प्यार में लिपटा हुआ, कहाँ गया वसंत !
खिली खिली रुत का वो खिला सा यौवन
शहर में आता आता ,कहाँ गया वसंत !

No comments:

Post a Comment