Monday, May 20, 2013

पुराने रिश्तों को मज़बूती दे दो
इस माहौल को ज़िंदगी दे दो !
भोर हो जाएगी बस्ती में देखना
अंधेरो को धूप सुनहरी दे दो !
तस्वीर ख़ुद ब ख़ुद बोल उठेगी
कुछ लकीरें और गहरी दे दो !
ख़ुशबु से महकता रहेगा ज़िस्म
इक शाम अपनी संदली दे दो !
ज़रा सी ज़िंदगी है चार दिन की
ज़रा सा हौसला अफज़ाई दे दो !
ज़िंदगी मेरी भी संवर जाएगी
मुझे दोस्ती अपनी अनूठी दे दो !

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