Sunday, May 26, 2013

जब  तक  बड़ों का सरमाया है
हर तरफ़  रहमतों का  साया है  !
जब तक दुआएं  उनकी साथ हैं
दिल तब तक  नहीं  घबराया है !
क़िस्मत से ज़्यादा नहीं मिलता
वक़्त ने हमको यह सिखलाया है  !
उम्र  गुज़र गई  यही  सोचते हुए
कौन  अपना  है, कौन पराया  है  !
यक़ीन यह है वह बेवफ़ा  नहीं है
 दिल में ख्याल क्यूँ फिर आया है !
सर्दी गर्मी बर्दाश्त नहीं होती अब
बन गई जाने कैसी यह काया है !
थकान का तो नामो निशान नहीं
जब से  पयाम  उन का आया है  !
तेरे हाथ से बनी चाय का स्वाद
मुझे तुझ तलक़  खींच लाया  है  !

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