Tuesday, June 18, 2013

किसी को  उस ने कबीरा बना दिया
किसी को कृष्ण की मीरा बना दिया !
उसकी रहमतों का मै जिक्र क्या करूं
मैं कांच का टुकड़ा था हीरा बना दिया !
किसी को खुशियों की सौगात दे दी
किसी को दर्द का जज़ीरा बना दिया !
धूप और बारिश की दरकार जब हुई
आसमा को इनका ज़खीरा बना दिया !
सुलगती रह गई  चरागों में  हसरतें
सितारों को उस ने जंजीरा बना दिया !
समझ में नहीं आई कारीगरी उस की
धनवान किसी को फकीरा बना दिया  !

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