Saturday, July 20, 2013

दीवारों से हम  बात क्या करते
तस्वीर से मुलाक़ात क्या करते !
तुम ही  नहीं थे शहर में  जब
तुम्हारी दी सौगात  क्या करते !
फ़ुरसत ही नहीं थी तुम को तो 
हम गुफ़्त्गुए जज़्बात क्या करते !
बस चंद खुशियों  के वास्ते हम
दुश्वार यह  हयात क्या  करते !
तुम को  ही याद न करते अगर
तो और  सारी रात  क्या करते !
सिमटने की कोशिशों में थे हम
हम  और  सवालात क्या करते !

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