Friday, August 2, 2013

शहर तेरा यह बंज़र और नम निकलेगा
दिल पर यह जख्म भी रक़म निकलेगा !
यह ख़बर थी कि दम तो ज़रूर निकलेगा
ख़बर न थी इस क़दर यह दम निकलेगा !
नर्म लहजे से तुमने काम ले लिया अगर
उसूलों पर दिल मेरा भी क़ायम निकलेगा !
गलत लफ्ज़ अगर चुन लिया कहने  को
तो नक्शा   बदला हुआ हरदम निकलेगा  !
सर्दी की  कंपकपाती  हुई रात में भी तो
इन  आँखों  से आंसू तो गरम निकलेगा !
बैठे बैठे अँधेरी रात जब यह ढल  जायेगी
सुबह सूरज लेकर के नया दम निकलेगा !

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