Saturday, August 31, 2013

हर सवाल का ज़वाब मुहाल नहीं होता
सवाल का ज़वाब भी सवाल नहीं होता !
शिनाख्त कैसे करता दर्दे दिल की वह
हाल अपना ही कभी  बेहाल नहीं होता !
दिल सुर्ख़ लहू सुर्ख़ और ज़ख्म भी सुर्ख़
आँख से बहता आंसू ही लाल नहीं होता !
मैं अपना ज़वाल भी देख लेता होते हुए 
वक्त ने  किया अगर क़माल नहीं होता !
तन्हाइयां अगर मुझ में रंग नहीं भरती
उजाला कभी  घर में बहाल नहीं  होता !
मेरा चेहरा तक़सीम  हुआ नहीं दिखता
मेरे ही आईने में अगर बाल नहीं होता !
अब मुझ को रबत पड़ गया कुछ ऐसा
वो हंस भी देता है तो मलाल नहीं होता !
बुज़ुर्गों की दुआएं अगर साथ रख लेते
दिल यह जिगर कभी हलाल नहीं होता !

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