Saturday, September 28, 2013

राम को देखकर बहुत खुश था रहीम
श्याम का घर  चिन रहा था शमीम !
सब को  रास्ता दिखा रहा था  राम
दर्द  सब के दूर कर रहा था  रहीम !
किसकी आरज़ू और किसकी जुस्तजू
अपने ही तो हैं दोनों राम और रहीम !
किसकी मैं पूजा करूं या करूं सज़दा
पाई नहीं मैंने ही कभी इसकी तालीम !
खुशबु के झोंकों से हैं सुर्खरू दोनों ही
कहे चली जा रही है यह बादे नसीम !

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