Monday, September 30, 2013

सूरज है , अंधकार से  नहीं डरता
पानी के साथ पत्थर  नहीं बहता !
थोड़ी सी मिलावट  बेहद जरूरी है
खरे सोने से भी ज़ेवर नहीं बनता !
यह खबर है  कि वो आने वाले हैं
इस खुशबु से ही  जी नहीं भरता !
घर की बात  घर में ही सुलझा लो
ठोकरों से कभी मुक़द्दर नहीं बदलता !
पेट में जब  कभी भी आग जलती है
रोटी कह लेने से ही पेट नहीं भरता !
उजाड़े या बसाये यह उसकी इच्छा है
किसी के रोके से दरिया नहीं रुकता !
तुम नादान हो तुम्हे यह इल्म नहीं
ज़न्नत का दर  बेवज़ह नहीं खुलता ! 

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