Wednesday, October 16, 2013

छत्त नीची हो तो  सर उठाया नहीं जाता
दुआ मांगते वक्त  सर झुकाया नहीं जाता !
जीना  है अगर,  धोखे  तो खाने ही पड़ेंगे
फूलों की तरह भी तो इतराया नहीं जाता !
अगर कहला भेजते  तो हम भी आ जाते
बिना बुलाये हम से कहीं आया नहीं जाता !
हर लम्हा आइना भी बदलता है अपना रंग
इस हकीकत को भी झुठलाया नहीं जाता !
बुतों से भी  हमको  कोई शिकायत नहीं है
जो सुन नहीं सके उसे सुनाया नहीं जाता !
आँखों ही आँखों में अदा होते हैं जो मजमूँ
लिख कर  वह पैगाम भिजवाया नहीं जाता !
सारी मस्ती तुम्हारी इन आँखों की ही तो है
ज़ाम लबों से अब हमसे लगाया नहीं जाता !
संवरने में अभी जाने कितना वक्त लगेगा
अब खुशबुओं का बोझ  उठाया नहीं जाता !

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