Thursday, August 21, 2014

आज़कल पिछले दस दिनों से मैं सपत्नी बैंगलोर अपने बड़े बेटे
बहू और बच्चों के पास आया हुआ हूँ ,यहाँ का मौसम लाजवाब है
तरसेंगे ऐसे मौसम को हम
याद आएंगे लम्हे ये हरदम
आँख खुलेगी जब  रातों में
ढूँढा करेंगे ख़ुद  को ही हम।

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