Thursday, June 25, 2015

चाँद तो क्या एक सितारा न बन सका 
उसने जो भी बनना चाहा न बन सका। 

तराश दिया जौहरी ने  इतना  उस  को 
पत्थर ही रह गया वो हीरा न बन सका।

बेवफ़ा तो बन गया मैं उस के कहने से 
वफ़ा का फिर  सिलसिला न बन सका।  

तस्वीर तो बसा ली थी दिल में उस की 
रूह का ही उसकी ठिकाना न बन सका।   

तरीक़े  तो बहुत थे  ख़ुदकुशी करने  के 
ज़हां छोड़ जाने का इरादा न बन सका। 

तन्हां ही रहा हूँ  रातों में ,मैं तो अक्सर 
चाँद की तरह से तेरा आना न बन सका।

चला तो आया मैं  तेरे मैख़ाने में  साक़ी 
तेरी तलब  का ही  पैमाना न बन सका।  



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