Saturday, June 27, 2015

आईने पर इतना हम ऐतबार करते हैं 
उस को देख ख़ुद का सिंगार  करते हैं। 

निखर के आता है चेहरा जब चाँद सा  
फिर उस को प्यार हज़ार बार करते हैं। 

सिलसिला रुक़ न जाए  मुहब्बत का 
खुशबु का उसकी ही  इंतज़ार करते हैं.

ज़िंदगी से बहुत कुछ सीखा  है हम ने 
अपने क़िरदार को बहुत प्यार करते हैं। 

अंजाम की परवाह नहीं है  हम को अब 
उज़ाड़ में भी बहार का इंतज़ार करते हैं। 

भूल गए थे इम्तिहान में सबक जो हम 
वही सबक  याद हम  बार बार करते हैं। 

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