Tuesday, June 30, 2015

ज़िंदगी ख़ुद एक  इम्तिहान है यारों 
कभी मुश्क़िल कभी आसान है यारों। 

मरता हूँ हर रोज़ ही जीने के लिए मैं  
अभी तो मुझ में  बहुत जान है यारों।

नीयत सही है और सब्र भी है दिल में 
मुझे तो ख़ुद पर बहुत गुमान है यारों। 

ज़मीन से मिलने के लिए ही झुका है 
वह तो फिर भी एक आसमान है यारों। 

फूलों की तरह से सदा महकते रहे हम 
हर दिल का यही  तो अरमान है यारों। 

जब वक़्त था कहने का तब नहीं कहा 
अब तो यह ज़ुबान ही बेज़ुबान है यारों। 

बहुत सारे नाम दे दिए  हमने,उसे भी 
ख़ुदा कहीं ,कहीं वह भगवान  है यारों।

मन्दिर मस्ज़िद और गुरूद्वारे भी ये 
हमने ही तो बनाये यह मक़ान है यारों। 



  




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