Thursday, August 27, 2015

क़हर देख  क़रम की  बात होने लगी 
सितम देख रहम की बात होने लगी। 

बीच समंदर के बुत मिल गया  कोई  
जिसे  देख सनम की बात होने लगी। 

थकी थकी सी ज़िन्दगी की  शाम में 
क़यामत से अदम की बात होने लगी। 

खूबी हुस्नो ताज़महल की यूँ  बयां हुई 
फ़रिश्तों  में  एरम की बात होने लगी। 

ज़मीर बदल गया  इन्सान का  इतना  
हर तरफ ही  रक़म की बात होने लगी। 

जब तलक़  चाँद पर  कुछ जवानी रही 
उससे भी मरासिम की बात होने लगी। 

हवाएँ समंदर की अब जब तेज़ हो गईं 
हौसलों में दम ख़म की बात होने लगी। 

   क़यामत - प्रलय  , 
अदम -  शून्य  ,आकाश या  स्वर्ग 
    एरम -  ज़न्नत का बाग़ 
     मरासिम - संबंध 



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