Monday, August 31, 2015

स्वच्छ विचारों की धरती पर भारत को स्वर्ग बनाएंगे 
ज़रूरत  पड़ने पर  अपना  हम लहू भी ज़रूर बहायेंगे।

बस्ती बस्ती में जाकर के घर घर शिक्षा बाँट कर हम 
नन्हें  नन्हे फूलों को शिक्षा की  खुशबु से महकायेंगे। 

यह तेरा है यह मेरा है  आपस में लड़ेंगे न कभी हम 
प्यार और भाईचारे की अलख हर दिल में जलाएंगे। 

तप कर कुंदन बनता है मेह्नत से उपवन खिलता है 
खेत जोतेंगे कड़ी धूप में  पसीने से  नगीने बनाएंगे।

न ही आांसू होंगे आँखों में  न दर्द  ही होंगे  चेहरों पर 
हम अपनी भारत माता को इतना ही सुन्दर बनाएंगे। 

No comments:

Post a Comment