Tuesday, October 6, 2015

किसी शाम हमारा  इंतज़ार तो करते 
चाहतों में अपनी हमें शुमार तो करते।

चाँद ख़ुद ब ख़ुद उतर आता गोद में 
हसरत लिए उसका दीदार तो  करते। 

न करते प्यार अगर हमसे न करते 
हम पर मगर कुछ ऐतबार तो करते। 

रुख़ बदल देते सफर का हम भी तो 
कुछ दूर चलने का  क़रार तो करते।

दर्द जो  दिल की तहों में उतर गया 
उन हदों को ही  कभी पार तो करते। 

ख़ुश्बू ख़ुद ब खुद गले से लिपट जाती 
फूल को मेरे यार ज़रा प्यार तो करते। 

मुझको मेरी नज़र से देख लेते अगर 
सज़दा हुस्न का  बार बार तो  करते। 


  

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