Monday, June 13, 2016

मौसम बदल रहा है अपना ख्याल रखना 
दिल  अपना हर हाल में खुशहाल रखना। 

समेट लेना  शिक़्स्ता गुलाब  की  खुशबू 
दिल में न  कोई तू अपने  मलाल रखना।

तहज़ीब का तेरी न कोई तमाशा बना दे 
जो बीत गईं हैं सदियाँ वो संभाल रखना।

नफरतों  के माहौल से  खुद को बचाना
मुहब्बत जो  मिले उसका ख्याल रखना।

तुम्हारा सामना मेरी दीवानगी से  हो तो 
रिश्ता तुम इश्क़ से ज़रूर बहाल रखना।

वह मेरा सब कुछ था पिछले बरस ही तो 
अब दिल न तू उससे कोई सवाल रखना।

लम्हा ज़िंदगी है तो हर लम्हा आज़माइश 
मिली है  ज़िंदगी तो उसे सम्भाल रखना।  

                 ------ सत्येंद्र गुप्ता  
  



1 comment:

  1. मिली है ज़िंदगी तो उसे सम्भाल रखना... गजब की रचना ।वेहतरीन । बहुत अच्छी लगी मुझे।

    ReplyDelete