Sunday, July 24, 2016

अपनी निशानी छोड़ जाना तू जिधर जाना
खुशबू की तरह तू हवाओं में बिखर जाना
तेरा नाम न लें और लोग पहचान लें तूझको
कुछ इस तरह से तू हर दिल मे उतर जाना
आजमाइशो में इश्क़ भी न पूरा उतरा सका
तू मगर हर कसौटी पर ही खरा उतर जाना
हिमालय की बुलंदियों से न ड़रना कभी भी
तू दरिया है अपना रास्ता तैयार कर जाना
सौ जतन किए मैंने मुझ पर रूप नही आया
तू गुलाबी रंग मेरी ओढ़नी में भी भर जाना
पीने वालो की भी कमी नही है दुनिया मे
बस तू जाम सबके मुहब्बत से भर जाना
भले ही दुश्मन है वह दिल का तो अच्छा है
आसान तू उसका भी तो सफर कर जाना

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