Monday, August 8, 2016

हम सदा तन्हाइयों के शहर में रहे 
जहां  रहे यादों के  खँडहर में  रहे !

ज़िन्दगी तूने ही कहीं रहने न दिया 
सारी उम्र हम तो बस सफर में रहे !

भाग दौड़ में ही कट गई ज़िन्दगी 
कभी  चैन से  न अपने  घर में रहे !

बाढ़ आई कभी तो सूखा भी पड़ा
कभी  हम अंधेरों  के नगर में रहे !

फैसले भी छोटे बड़े सारे ही लिए
हम हमेशा अपने ही  तेवर में रहे !

किरदार भी सारे ही निभाए हमने
जहाँ भी रहे सदा ही  खबर में रहे !

मत पूछ  हालते  दीवानगी हमारी
तूझे बिना  बताये तेरे  शहर में रहे !

ईमान को कभी चूर होने न दिया
हर वक़्त आइनों  के शहर में रहे !

तू भी न मिली कभी हमसे ज़िन्दगी
कहने को हम तेरी ही नज़र में रहे !

           ------सत्येंद्र गुप्ता

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