Friday, August 12, 2016

भारत माँ तेरी सुंदरता का सानी नहीं कोई मिलता
तेरे मस्तक पर सजा ताज़ कहीं और नहीं माँ सजता !

प्रातः सूरज की लालिमा में रूप  तेरा ही  दमकता
चाँद भी अपनी धवल किरणों से सिंगार तेरा करता  !

गंगा यमुना की धारा से तन मन पुलकित रहता है 
श्रद्धा ,ममता ,त्याग ,शांति से है तेरा वैभव सजता  !

दक्षिण में सागर की लहरें  हैं चरण तेरे ही  धोती 
उत्तर में गिरिराज हिमालय  तेरी ही रक्षा करता !

तेरे आँगन में ही जन्मे  थे सूर, कबीर और तुलसी 
उनकी संस्कृत्यों का उजाला तुझे सुशोभित करता  !

रक्षा बंधन ,ईद ,दिवाली ,बैसाखी ,होली ,क्रिसमस 
बसंत अंक में लिए मधुमास , तुझे सुवासित करता !

गाँधी ,बोस ,भगत सिंह ,लक्ष्मी बाई की धरती पर 
कोई गद्दार आतंक वादी है पाँव नहीं रख सकता  !

एक सूत्र में बंधे हैं सब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
कोई माई का लाल  हमे अलग नहीं कर सकता !

छीन सकेगा कोई न तुझ से माँ तेरा यश आधार 
माँ  तेरे सपूतों के आगे कोई नहीं टिक सकता !

तेरी आँखों में आंसू माँ  कभी नहीं आने देंगे हम 
माँ शत शत प्रणाम तुझे हर भारत वासी करता  !

                             ---- सत्येंद्र गुप्ता 
                                    नज़ीबाबाद  

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