Wednesday, August 31, 2016

चेहरा उसका चाँद का  ज़वाब है 
चाँद  को चूमता हुआ  गुलाब है !

चाँद  ने अपनी  रोशनी से लिखी  
बेपनाह  हुस्न की  वह किताब  है !

देखने से भी रंग वो शरमाने लगे 
सादगी उसमे  इतनी बेहिसाब है !

सुर्ख़ रुख़सार पर  सियाह ज़ुल्फ़ें 
चेहरे  पर कोई  जादुई  नक़ाब है !

ख़्वाहिशों  का भी रुख़  बदल दे 
हर अंदाज़  उसका  लाज़वाब है !

दिल की  बेचारगी का क्या करें  
दिल चुरा ले वह तो वो शबाब है !

आंखे है कि भूलती ही नहीं उसे  
देखने को वह अकेला ख़्वाब है !

शरबती आंखों में  वह सुर्ख डोरे
नशा न उतरे कभी ऐसी शराब है !

           ------सत्येंद्र गुप्ता 

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