Sunday, July 16, 2017

होशियार का मतलब फनकार नहींं होता
हर हुनरमंद भी तो कलाकार नहींं होता
मिला जो आज मुझको हंसकर बोला वो
हर गली कूचे मेंं भी तो बाजार नहींं होता
एक बार ही उसको जरा गौर से देखा था
अक्सर ऐसा भी तो बार बार नहींं होता
जो दिल मेंं बसा है वह चांद सा लगता है
चांद का भी तो हर रोज दीदार नहींं होता
पुरानी एलबम में एक ही तस्वीर झूठी है
बचपन का वो प्यार क्या प्यार नहींं होता
तेरी नफरत बनी रहे उम्र भर सदा यूं ही
अब हमसे भी इश्क़ का इजहार नही होता
मालूम हुआ है मुझको तुम्हारी ही जुबानी
मैं अपने फैसले पर शर्मसार नही होता
मेरे कमरे का आईना भी नाराज है मुझसे
मैं ऐतबार दिलाऊ उसे ऐतबार नही होता
न ही मंजिल का पता नहीं रस्तों की खबर
ऐसे भी तो सफर पूरा कभी यार नही होता
--------- सत्येंद्र गुप्ता

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