Monday, December 4, 2017

मोहब्बत की तासीर बदल गई 
चाहत  की तदबीर  बदल गई। 

उनको सजा  संवरा देखा जब 
हुस्न की भी  तस्वीर बदल गई। 

आतिशे रुख़्सार की वह सुर्ख़ी 
लगा मेरी भी तो हीर बदल गई। 

अंगड़ाई लेने की  अदा उनकी 
ख्वाहिशों की तहरीर बदल गई। 

रूबरू थी  वो आईने की तरह 
रूठी  हुई  तक़दीर  बदल गई। 

हर तरफ उनका ही चेहरा था 
क़यामत अपना तीर बदल गई 

             -----सत्येंद्र गुप्ता 

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