Friday, May 11, 2018



तीन मिसरो की शायरी मेरी एक नई  विधा है इसमें
दो मिसरो में मैंने एक मिसरा और जोड़ दिया जिससे
पहले दोनों मिसरो का वज़ूद और बढ़ गया और उनकी
क़ैफ़ियत बहुत ऊंचाई तक पहुँच गयी मैंने इस मिसरे
का नाम रखा है मिसरा ए ख़ास।
उदहारण के लिए 

आज तक वह आईना न बना 
मुझे मुझ से रूबरू करा देता
मुझको मेरी औकात बता देता

परदेस चले गए थे कमाने के वास्ते
लौट आए शक़्ल किसको दिखाते 
दस्ताने दर्द किस किसको सुनाते 

शान से ले जाती है जिसे भी चाहे
दर पर खड़ी मौत फकीर नहीं होती
उसके पास  कोई तहरीर नहीं होती

फूल की तरह महकता है कागज़
जिस पर मैंने तेरा नाम लिखा है
लगता है तेरी खुशबू का टुकड़ा है

तीन लाइन का ही खत था
सारी बातें जरूरी रह गईं
चाहतें सब अधूरी रह गईं
---------सत्येन्द्र गुप्ता
      कोट द्वार रोड नजीबाबाद
  मो  9837024900  

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